पृष्ठ:रश्मि-रेखा.pdf/१२८

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रश्मि रेखा मत मुंह मोड, अरे बेदरदी, मत मुह मोड' अरे भेदरदी कॉटे तनिक निकाले जा (१) राम-राम मम आज कण्टकित हिय में शूल समाए हैं अमित थकित इन चरण-तलों में काँटे जाल बिछाये हैं जान किस प्रतिकूल पवन में ये कण्टक उड' आए है शूल मयी जीवन-डगरी है इसको आज समाले जा मत मुह मोड अरे बेदरदी काँटे तनिक निकाले जा ।