पृष्ठ:रश्मि-रेखा.pdf/१२९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

रहिम रेखा देख टटोल हृदय को मेरे है ये शूल घने कितने सोच रच तो क्या न ही ने ये उपहार दिये इतने उपालम्भ कैसे दू मैं ? पर बिना दिये भी तान बने ! अरे छोड कर जाता ही है तो तू तनिक विदा ले जा मत मुह मोड अरे बेदरदी काँटे तनिक निकाले जा । (३) कुछ ले जा कुछ दे जा प्यारे तू कुछ तो सौदा कर जा काँटे दिये विथा दी हिय में अब उपहास और भर जा! तू मुह मोड दुआएँ मैं दू मैं जो नाहीं के बदले श्रद्धाजलि मरी अपरिमिता ले जा मत मुह मोड अरे बेदरदी काँटे तनिक निकाले जा। तू तर जा कॉटों का इतिहास का क्या ? जब कि स्वय मैं शूल बना और फूल की कथा कहू क्या ? तू कब मरा फूल बना ? मम शिर पर छाया बनकर कब तरा विमल दुकूल तना? जाता है ? जा विरह ताप में मुझको खूब उबाले जा मत मुह मोड़ अरे नेदरदी कोटे तनिक निकाले जा। ९२