पृष्ठ:रश्मि-रेखा.pdf/१३०

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रश्मि रेखा तुझे बुलाने मैने भजी श्यास पवन दुनियाँ कई पर तू अटक रहा लख लखकर कई मूरते नई नई मैंने अपनी प्रथा निबाही तूने अपनी विधि निवही मैं देता ही रहू निमन्त्रण आ तू हस हस टाले जा मस मुह माड अरे बेदरदी कॉटे तनिक निकाले बा। (६) मेरा जीवन बनकर कदुक आन पडा है तव कर में जो चाहे कर कर में रख या फैंक इसे तू अम्बर में तेरे द्वारा क्षिप्त हुआ हूँ मैं इस निखिल चराचर में खले जा तू इस कदक से इसको खूब उछाले जा पर ओ निर्माही इसक ये काँटे तनिक निकाले जा। जिला कारागार प्रश्नाव विनाइ ५ अनस १६४३