पृष्ठ:रश्मि-रेखा.pdf/१३१

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रश्मि रेखा तुम नहि जानत हो अति गम्भीर विथा या हिय की तुम नहिं जानत हा कसक अथो हसी के पटतर नहिं पहिचानत हो प्राणधन तुम नहिं जानत हो } हम जीवित हैं चलत फिरत है बोलि लेत हैं बन तुम समुझात हा हवय हमारी रच नाहिं बेचैन कैसे कहे कि होति रहति है खटक हिये दिन रैन? अपनी बात कहत्त जब हम तब तम कन मानत हो? प्राणधन तुम नहिं जानत हो ।