पृष्ठ:रश्मि-रेखा.pdf/१३७

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रश्मि रेखा (२) क्या बतलायें मन की क्या क्या मनुहारे है? रसना पर ताल हैं हग में जल थारे हैं। हम बदी है हम को धेरै दीवार मन की मनुहारों का बोलो प्रिय क्या बखान ? शत शत चुम्बन से है धूमिल तव चित्र प्राण । आज जब कि घूम रहा सर्वनाश चक्र घूण आज जब कि ममता के भाव हुए बूण-चूण ऐसे क्षण क्यों कर हो स्नेह-साधना प्रपूण ? ऐसे क्षण हम कैसे गाए चिर शत शत चुम्बन से है धमिल तव चिन पाण। प्रेम गान? (*) जीवन में सचित थे फर ऐस पुण्य सजन ? जिनके पल करते हम सफल अमल नेह लगन? तिस पर अब चल निकला निपट विकट क्राति व्यजन । होकर हम विलग विलग खड़ते हैं तृण समान शत-शत चुम्बन से है धूमिल तष चित्र पाण।