पृष्ठ:रश्मि-रेखा.pdf/१३८

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रश्मि रेखा तिनकों की क्या बिसात जप मदर हों विचलित ? भान "यक्ति का कितना अब हो सब देश दलित? ऐसे क्षण कैसे हो स्नेह कलित प्रम फलित। अमिय कहा १ जब कि यहाँ हाता है गरल पान ? शत शत चुम्बन से है धूमिल तप चित्र प्राण । केन्द्रीय कारागार बरेली दिनांक १ जुल १९४३ }