पृष्ठ:रश्मि-रेखा.pdf/१४०

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रश्मि रेखा स्मरण रखो ओ प्राण वल्लभे तुम हा मम कु कुम रेखा तुम हो मम सिदूर बिन्दु तुम मम भावना चित्र लेखा रात देखी है दुदम अ धकार देखा अब आई तुम तिमिर निकविनि अब मैंने प्रकाश पेखा माँग रहा हूँ केवल यह वर तुम मुझको न कभी भूलो तुम चिरकाल हसो फूलो। केन्द्रीय कारागार बरेली दिनाक अगस्त १९४३