पृष्ठ:रश्मि-रेखा.pdf/१४१

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रश्मि रेखा तुम इसे पहचानते हो? अ तयांमी मम वेदना तुम जानते हो? बाल जो यह जल उठी है तुम इसे पहचानते हो ? प्राण आग दी तुमने सजन फिर आग की यह चाह भी दी अग्नि-क्रीडा प्रेरणा दी अटपटी इक राह भी दी फिर दिये ये दाथ साधन और गहरी आह भी दी लो लगी है आग अब तम व्यथ क्यों हठ गनत हो? प्राण अन्तयामिनी मम पेदना तम जानते हो । १०४