पृष्ठ:रश्मि-रेखा.pdf/१४५

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रश्मि रेखा ऐसह खिल उठौ हिये में जिमि सर में जल जात बिहसत मुकुलित लहरि विकम्पित हिलत-डुलत इतरात रीसौ सुम्ही न निरखौ मो-तन मेरी कौन बिसात ? मैं नवीन है चल्यो पुरातन शिथिल है' चले गात विथा अब हिय की बरनि न जाता पिला कारागार उन्नान दिसम्बर २ }