पृष्ठ:रश्मि-रेखा.pdf/१४७

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रश्मि रेखा जटिल कृत कर्म की दुखद सस्मृति यहाँ रात्रि में ठिठुरती है अलीरी पतित बलधार के सङ्ग अरसें उपल जलद विपदा नई हा गए री। अपर ! (४) टपक टप-टप पले पिटप के अश्रण मूक विपदा मनो बह चली री दिशि वधू छिप गह धूम-पट पहन कर क्षितिज में अम ये छा गए री । अपर । घोर सूची मद्य धन तिमिर चीरकर स्फटिक चपला चमकती भली री ज्ञान की ज्योति यो प्रति क्षण चमक- दिखला रही कम्म के बाग य री । अपर 1 फिला कारागार गाजीपुर दिनांक १५ फरवरी १९३१ }