पृष्ठ:रश्मि-रेखा.pdf/१५५

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रश्मि रेखा तव मृदु मुसकान, प्राण शीतमारु सुमा सहश तब मृदु मसफान प्राण जिससे उट रही अमित मन्द मन्द मधुर घ्राण । अवि भव फुल प्रियक सम लहरी तव कुसुमित साडी नर रम्य हेम पष्पक सम निखरा तब बकुल सुमन राशि सदश सौकुमार्य प्रियतम' तब फैल रहा तब सौरभ पारिजात के समान शीतभीरु सुमन सहश तष मृद मुसकान प्राण । १ शीत भीरु बेला मक्षिका ४ बकुल-मौलसिरी २ प्रियक कदम्ब ५ पारिजात हरसिंगार ३ हेम पुष्पक-चम्पा