पृष्ठ:रश्मि-रेखा.pdf/१५६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

रहिम रेखा लोल लचक मय कापित तव शरीर लतिका यह मृदु मजुल वजुल सम सिहर रही है रह रह यूधिकार प्रसन झरे वचनों से आज तुम मेरे मिय सुजान शीतभार कसुम सहश तय मृदु मुसकान प्राण । तुम पर मैं शत शत सुमन राशि वारू मियतम यौछावर है तुम पर मृदुल भाष हे हिय हर नयनों पर पालि होने आए वजन नभ पर नीलोपल दल सकुचे निरख ललित भ. कमान निरुपम है चिर निरुपम तव मृदु मुसकान प्राण। केद्रीय कारागार बरेको दिनांक १२ अगस्त १३ } १ बजुल-बेंत की लता २ यूथिकाजूही