पृष्ठ:रश्मि-रेखा.pdf/१५९

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रश्मि रेखा खग फलरव नि लन है नीरव है तरु मर्मर पोम मौन वायु शान्त थकित सरित सर निहर बैठ चली गोधूली मूक स्वर ऐसे क्षण भरली में फू को स्वर पंचम तुम !! मेरे नीरव हिय में स्वर भर दो प्रियतम सुम !! केन्द्रीय कारागार बरेली प्रति दिनांक १ नवम्बर १६४३ }