पृष्ठ:रश्मि-रेखा.pdf/१६७

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रश्मि रेखा वसन्त-बहार आज सखि नवल वसत बहार कर रही मदिर भाव सञ्चार आज सखि नवल सात महार। हम से मस्ताने नवीन है सीखे करना प्यार अब तो उलट पलट जायेगा जग आचार विचार आज सखि नवल बसतबहार कर रही मदिर भाव सचार आज सखि नवल पसत बहार।