पृष्ठ:रश्मि-रेखा.pdf/१७०

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रश्मि रेखा मिल गये जीवन-डगर में आज बरसों बाद पीतम मिल गये जीवन अगर में मृत मनोरथ के समन ये खिल गये जीवन डगर में ! वे धुएँ के तूल से छाए हुए थे सजल बादल झर रहा था गगन के हिय से मगन यौवन-लगन जल उन दुखद रिम झिम-क्षणों में शु य पकिल पथ-कणों में हार-से मनुहार-से पिय मिल गए जीवन डगर में !