पृष्ठ:रश्मि-रेखा.pdf/२१

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रश्मि रेखा श्रीव में वह तब मृदु भुज माल स्मरण-कठफ बन आई बाल अथवा- स्मरण वे तुमने भाकर विहस प्रियतमे नयनों में भर प्यार निज भुज माला इस पीवा में डाली थी उस काल स्मरण गार वह बन आई बाल । इस वक्षस्थल पर शिर रख तुम मौन शांत गम्भीर देख रही थी हमें हगों से प्राणापण-रस डाल बने हैं बाल। और देखिये- जब कि कनखियों से मुझको सुम निरख रहे थे आते-जाते ग से हग जब मिल जाते थे सब तुम थे कुछ-कुछ मुसकाते इसी प्रकार- कमी सबारे थे हमने भी उनके कुन्तल पुञ्ज घे सस्मरण आज आये हैं बन कर काले नाग चित्रलम्भ ही वास्तव में उनका प्रधान भाव है । विप्रलम्भ की एक विशष भारतीय परिपाटी है। यहाँ का प्रिय प्रेमी भी होता है। परिस्थिति अन्य अवरोधा से केवल यह अपने प्रिय से मिल नहीं पाता । प्रेमी को पग-पग पर प्रिय के अनुकता यवहार का भूतकाल अधिक कष्ट दिया करता है। उबू का माशूक बेवफा और धोखेबाज अधिकतर अंकित किया जाता है। इसकी हरक का चित्रण अंग्रेजी में भी कहाँ कहाँ मिलता है । भारतीय संस्कति के प्रभाव के कारण यहाँ इस प्रकार के चित्रणं कम मिलते हैं। बालकृष्ण के प्रेम में भी भारतीयता के रक्षण मिलगे । हाँ प्रिय का रुम मम लिंगा मेदेखना यहाँ की परिपाटी नहीं है। यह कदाचित् उडू का उत्तराधिकार हो । भक्त कवि भगवान की अवतारणा स्त्रीलिंग में कर ही कैसे सकते थे अतएव बालकल्या ने कहाचित् अपने सरकार को उन्हों के सबोधन के 1