पृष्ठ:रश्मि-रेखा.pdf/२३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

रश्मि रेखा आगे देखिये- (P) युगल लोचन में मदिर र ग छलक उठता देख निहुर तुमने फेरली क्यों आँख एकाएक ? सिहर देखो कनखियों से अरुण मेरे नैन सकुच शरमा कर कहो कछ हाँ नहीं के बैन भर रहा है सजनि फिर से यहाँ शुक तडाग जगण्ठा हाँ जग उठा है सुप्त अश्रत राग । (२) मृदुल कोमल बाहु पल्लरियाँ हुलाकर बाल कठिन सकेताक्षरों को आज करो निहाल आज लिखवाकर तुम्हारे पूजकों के माम हृदय की तड़पन हुई है समनि पूरम काम राग के अनुराग के अब खुल गये है भाग १ जाग गया हाँ जग गया है सुत अश्रत राग !! मैं तुमको निज गीत सुनाम शीर्षक कविता में बालकृष्या कहते हैं- 'तुम बैठो मम सम्मुख अपना चीनाशक पीताम्बर पहने और बमें अंगुलियाँ मेरी तव मजुल चरणों के गहने तुम आकर्ण सजाए वेणी विहस-विहँस दो मुझे उलहने यही साथ है मेरे प्रियतम तुम रूठो मैं तुम्हें मनायें और साथ क्या है ? बस इतनी कि मैं तम्हें निज गीत सुनाऊँ । सुनकर मेरे गीत, कमी तो तव लोचन डब-डब भर आए और कभी मेरे नयनों सकुछ सचित्त बूदें झर जाए