पृष्ठ:रश्मि-रेखा.pdf/४७

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रश्मि रेखा प्रियतम, तव अग राग गमक उठा है स्मृति म प्रियतम तव नासा में लहर रहा वह तब मादक पराग । अग-राग भेजी है क्या तमने यह रस मय निज सुगन्ध अनिल-लहर लाई है परिरम्भण-गध मद मम गत आया सम्मख तोड कठिन काल वध जाग उठा है फिर से मेरा विगतानराग प्रियतम तव अग-राग । काई इक गध लहर कोह मृदु एक तान कोई सी एक झलक मन की कोई रुझान कर दत्ती है क्षण में अति गत को बत्त मान मानों सवेदन है स्मरण सुमन माल ताग 1 प्रियतम तष अग राग। १