पृष्ठ:रश्मि-रेखा.pdf/४८

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रश्मि रेखा (३) शाद-स्पर्श-रूप गध-रस पश है क्या जीवन? सवेदन पुज रूप हैं क्या हम सब जग-जन ? अमल अतीन्द्रियता है क्या केवल भ्रम साजन? अपनी सेद्रियता क्या मनुज सकगा न त्याग प्रियतम तव अग राग । (४) अतर में जलता है यह चेतना-दीप जिसकी ऊष्मा स है कुसुमित उपकरण-नीप सेद्रियता कब आई उस दीपक के समीप ? उस निगु ण का गुण है पूण मुक्ति घिर विराग ! मियतम तव अंग-राग । - भियतम तव अगगंध जो मम सस्मरण बनी. इन नासा रधों में उमड़ी है अमिप-सनी आई है आज त्याग वह सेन्द्रियता अपनी केवल तब ध्यान आज सोत से उठा जाग। प्रियतम तव अग-राग ! केन्द्रीय कारागार बरेली दिनांक २१ फरवरी १४ } उपकरण नीप यि रूपी कवम्ब वृक्ष