पृष्ठ:रश्मि-रेखा.pdf/४९

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रश्मि रेखा ओ मेरे मधुराधर चिटकीं ये चेले की कलियाँ आ मथुराधर छिटकी हो मानों तव मन्द मन्द स्मिति मनहर मुकुलित हो गया अमित जीवन-उल्लास हास वृत्तों पर थिरक उठा ना चेतन का विलास पाँखुरियों में स्पदित नपल जागरण विकास अतिगण की गुन-गुन से गूजे है नव नव स्वर । मो मेरे मधुराधर ।