पृष्ठ:रश्मि-रेखा.pdf/५०

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रश्मि रेखा (२) सर सर सर सर करता नाच उठा मधु समीर फर-फार फर-फर करती आई है विहग भीर जीवन का जय निनाद उमडा है गगन चीर लहर उठी नभ सर में बाल अरुण किरण लहर ओ मेरे मधुराधर । जग में है ज्योति हास जड़ में चेतन प्रकाश तृण-7 में सुरस-रास है चिन्मय महाफाश तष हिय क्यों हो उदास मानव क्यों हो निराश उपर-इन में भी तो लहर रहा है निझर ओ मेरे मधुराधर ! निरख निरख कलियों की मादक मुसकान अमल अलि जाऊँ ! आई है तब स्मिति की स्मृति मिहल ! मम मन सर में विकसित है तब यग नयन कमल परिमल मिस आई तव तन-सुवास सिहर सिहर ओ मेरे मधुराधर ! केन्द्रीय कारागार परेला दिनांक मई १६४ }