पृष्ठ:रश्मि-रेखा.pdf/५३

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रश्मि रेखा माप्त वर्ष की गिनती क्यों हो वहाँ जहाँ भवन्तर जूझे ? युग-परिवर्तन करने वाले जीवन-वर्षों को क्यों बूझे ? हम विद्रोही ॥ कहो हमें क्यों अपने मग के कटक सूझे ? हमको चलना है || हमको क्या ? हो अँधियारी या कि शुहाई । हिय में सदा चाँदनी छाई। केन्द्रीय कारागार बरेली दिनांक फरवरी १९४४ 28