पृष्ठ:रश्मि-रेखा.pdf/५६

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रश्मि रेखा मेरे आँगन सदा अली है होली प्रबल प्रचण्ड समिधाओं सी हुई अनेकों आकाक्षाए क्षार रहे हो पर तम मम आधार । सदा विहसते रहो स्नेह पश रहो सदा अनुकूल, सह जागा मैं हँस हँस ये लपटें ये अंगार अमिय-मय मेरी तुम मनुहार । केन्द्रीय कारागार बरेली दिनांक २ फरवरी १९४४