पृष्ठ:रश्मि-रेखा.pdf/५९

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रश्मि रेखा काल चक्र पर क्या नक्षत्र चड़ आते हैं ये त्यौहार अनेक देने को चलते हैं निज पाल ? धन्य यह चलन-कलन विकराल || लखो आ रही है होली जब तुम हो इतनी दूर बतलाएँ कि हमारा कैसा होगा हाल ? तुम्हारे बिन क्या अगर शुलाल ? केन्द्रीय कारागार बरेली दिनांक १ माघ १९४४