पृष्ठ:रश्मि-रेखा.pdf/८६

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रश्मि रेख प्रथम प्यार का चुम्बन (बिहाग) मत हुकराओ मुझे सलोनी मैं हू प्रथम प्यार का चुम्बन । मुझे न हस हँस टालो मैं हू मधुरी स्मृतियों का अवलम्बन (?) पूण घूट हू प्रथम प्यास की मैं सस्मृति हूँ अनायास की नई फाँस के नवल पास की- मैं पीडा हूँ नवोल्लास की स्कुरित अधर की भाषा आतुर मदिर अलस परिरम्भण । मत तुफराओ मुझे सलोनी मैं हू प्रथम प्यार का चुम्बन