पृष्ठ:रश्मि-रेखा.pdf/८९

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रश्मि रेखा (२) घहराने लहराने की है नहीं आशा आज यों ही आहों के मिस छलका दे वेदना अथोर अरी मानस की मदिर हिलोर । प्यार कहानी हिय अरुझानी छानी रखियो खूब बहुत बार धोका दे देती है लोचन की कोर अरी मानस की मदिर हिलार ! श्री गोश कुटीर प्रताप कारपर दिनांक १३ अक्तूबर १९३१ }