पृष्ठ:रश्मि-रेखा.pdf/९०

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रश्मि रेखा कुहू की बात चार दिन की चाँदनी थी फिर अधेरी रात है अब फिर वही दिग्भ्रम वहीं काली कुहू की बात है अब ! चाँदनी मेरे जगत की प्राप्ति की है एक माया रश्मि रेखा तो अथिर है निय है धन तिमिर छाया योति छिटकी थी कभी अब तो अधेरा पास आया रात है मेरी सजनि इस भाग्य में नव प्रात है कब? फिर अधेरी रात है अब।