पृष्ठ:रश्मि-रेखा.pdf/९

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और मैं अपने आपको धन्य एव पूण काम मानू गा यदि किसी दिन मैं यम के शब्दाम कह सकू फि अनित्य द्रव्य प्राप्तवानस्मि नि यम् । इस जन्म म इस तामस तथा प्रमादाय निवाबद्ध स्वभाव को लेकर उस स्थिति तक पहुँचना सभव नहीं है । पर अनेक जन्म और अनवरत प्रयत्न में विश्वास करनेवान्ना जन निराश क्या हो यात्रा पथ ससा है दुरत्यय है। ध्यय आँखो के मोझल है। पर इतना जान हू कि कही है मजिल हिय-ठकरानी की ! पी गोश कीर कानपुर दिनाह ३ अगस्त ५१ } बालकृष्ण शर्मा