पृष्ठ:रसकलस.djvu/३६०

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8 नायिका के भेद A 'हरिऔध' कामिन की कनक सनक - सारी कनक - लतान की कनकता ते भजिहै। चंचरीक - रुचि छोरिहै न चंचरीकता तो चंपकता चंपक - बनि कैसे तजिहै ।।३।। चंचल - चखन-चारी चंचल न कैहै काहि भोरी भीरु भूरि - धूरि ऑखिन मैं भरिहै। फंदे सी अलक - वारी फद मॉहिं पारि दैहै छैलन को फूल की छरी सी नारि छरिहै। 'हरिऔध' हारे हार मानिहै न हार • वारी दुलही - दुलार - वारी दूलह सो लरिहै । कलही नकारे गोरे - गोरे - गाल - वीर सुनें लाल मुँह लाल लाल गाल - वारी करिहै ॥४॥ धर्म-संबंधी भेद स्वकीया विनय-शीला, सरल-स्वभावा, गृह-कर्म-परायणा और पति-रता स्त्री को स्वकीया कहते हैं। उदाहरण कवित्त- पावन - पुनीत - गूढ़ - गुन - मन-भावन के चावन सहित एरी रसना उचारि लै। दान सनमान मैं तिलोक मैं न ऐसो आन मेरी कही मान यहै मन निरधारि लैं सकल - अलौकिकता एक 'हरिऔध' ही मैं तू हू उर वार बार बिलखि विचारि लै।