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पृष्ठ:रसकलस.djvu/३९१

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रसकलस १४४ ता सरसिज को कर सको कहा सहज सनमान । सरसत मो मन अलि अहै करि जाको रस - पान ॥२॥ विप्रलब्धा संकेत-स्थल में प्रियतम की अप्राप्ति से श्राकुल और क्षुब्ध नायिका विपलब्धा कहलाती है। उदाहरण मुग्धा दोहा- पीर उठे पीरी परी पिय ते भई न भेंट । दुलही - दुख दूनो भयो सूनो मिले सहेट ॥१॥ तिय आई आयो न पिय भई समय की भूल । काँटे लौं कसकन लगे कलित - कुंज के फूल ॥२॥ मध्या दोहा- देखि सेज सूनी परी केलि - भवन भो काल। बिचलित अलबेली भई विन अलवेले लाल ।।१।। केलि-भवन आई बधू भरी उमंग बारिवाह लोचन वने विना विलोके नाह ।।२।। प्रौढ़ा दोहा बार बार बहराड के तूने कियो अवार। बादि अहे पिय के बिना उपवन-विपिन वहार ॥१॥ ललक - भरी आई वधू मिले नॉहिं सुख-मूल । केलि-भवन हूँ नहिं भयो केलि-मयी अनुकूल ॥२॥ उछाह'