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पृष्ठ:रसकलस.djvu/४८१

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रसकलस २३४ बिलसत यौवन मैं अहै वाको भाव - अनूप । लोक - बिकासक - काम को दुति है बिकसित-रूप ॥२॥ ४-माधुर्य सब दशाआ में रमणीय रहना माधुर्य कहलाता है । उदाहरण - दोहा- होत नहीं मसि - बिंदु ते अललित बाल - लिलार । औरो मन - रंजन करत दृग लहि अंजन-सार ।।१।। अधर पान को पीक ते अधिक - ललाम लखात । मिसी मले नवला - दसन नव - नीलम बनि जात ।।२।। तिरछे चलि लहि वंकता करि चंचलता मान | अधिक मधुमयी बनति हैं ललना की अँखियान||३|| ५-प्रगन्मता केलि-कला में निर्भयता का नाम प्रगल्भता है। उदाहरण दोहा-- दोऊ आलिंगन करहिं दोऊ करहिं कलोल । पिय को तिय तिय को पिया चूमत अधर कपोल ॥१॥ ६-औदार्य सदा विनय रखना औदार्य कहलाता sto