पृष्ठ:रसकलस.djvu/४८८

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२४१ अनुभाव उदाहरण दोहा- जाकी कलित - कथान को तू भाखति कथनीय । सो कित को है कौन है कैसो है कमनीय ॥१॥ अली जहाँ है वज रही मुरली सव - रस - मूल । चलु चलु अवलोकन करें सो कालिंदी - कूल ।। २॥ १६-विक्षेप भूषणों की अधूरी रचना, विना कारण इधर-उधर देखना, धीरे से प्रियतम से कोई रहस्य की बात कहना आदि विक्षेप कहलाता है। उदाहरण दोहा- इत उत चितै कबौं कळू धीरे कहि हॅसि देति । पहिरि अधूरो- आभरन मन - पूरो करि लेति ।। १ ॥ पहिरें द्वै द्वै चूरियाँ इत उत चितवत जाति । वतिया कहि कहि भेद की भेद - भरी मुसुकाति ।।२।। १७-हसित यौवन-विकास से उत्पन्न अकारण हास को हसित कहते हैं। उदाहरण दोहा- पिय - मन - मोहन को करति रस-वस विविध विलास । मधुर - मंद - गति गहति तिय मंद मंद करि हास ।। १ ॥