पृष्ठ:रसकलस.djvu/४९७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

रसकलस २५० उदाहरण कवित्त- नयन बसे राधिका - नयन मैं हैं मोहन मोहन बिकत राधा - नयन निकाई पै। प्यारी - मुख - सुखमा सराहत रहत प्यारो प्यारी मोहि जात प्यारे मुख - मजुताई पै। 'हरिऔध' स्याम को कहति रमनी है काम स्याम रति वारत रमनि रुचिराई पै। लाल को लुभावति है ललना ललित - छबि ललना लटू है भई लाल की लुनाई पै ॥ १ ॥ पिय - तन - घन तिय - मुदित - मयूरनी है पिय - तिय - नलिनी मिलिंद - मतवारे हैं। कौमुदी तरुनि है कुमुद - मन मोहन की मोहन तरुनि लतिका के तह प्यारे हैं। 'हरिऔध' नारि है सरसि मीन - प्रीतम की प्रीतम मराली नारि मानसर प्यारे हैं। बाल बनी बालम - बिलोचन की पूतरी है लाल बने ललना के लोयन के तारे हैं ।। २॥ २-विप्रलंभ जब अनुराग अत्यत प्रबल और प्रिय समागम का अभाव रहता है, तब विप्रलंभ अथवा वियोग शृ गार को उत्पत्ति होती है। इसके निम्नलिखित तीन भेद है- १–पूर्वानुराग, २-मान और ३–प्रवास ।