पृष्ठ:रसकलस.djvu/५०४

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२५७ रस निरूपण दश दशा प्रियतम की वियोगावस्था में जो दशाएँ प्राणी की होती हैं, वे प्रायः दश प्रकार की होती हैं, इसलिए इनको दश दशा कहते हैं। ये दशाएँ अभिलाषा से प्रारंभ होकर मरण -तक पहुँचती हैं, उनके नाम ये हैं- १-अभिलाषा, २-चिंता, ३-स्मरण, ४-गुण-कथन, ५-उद्वेग, ६-प्रलाप, ७----उन्माद,८-व्याधि, ९-जड़ता और १०-मरण | किसी किसी ने ११ वी दशा मूर्छा भी मानी है। १-अभिलापा वियोगावस्था में प्रियतम के मिलने की इच्छा को अभिलाषा कहते हैं। उदाहरण कवित्त- सोभा के निधान सुख-कंद-कल-कंधन पै मान सों या आपनी भुजान कव रखिहौं। मधुर - सुधा से सुखमा से भरे वैनन को कब इन प्यासे दोऊ स्रोनन सों चखिहीं। 'हरिऔध' प्यारे को लगाइ छतिया सों कब बतिया प्रतीति-प्रीति रीति की परखिहौं । मृदु-बोल बोलि कव लोल - नैन - लालन कौ करत कलोल कालिंदी के कूल लखिहौं ॥ १ ॥ ब्रज मैं पधारि ब्रजजीवन विनोद दैहैं वृन्दावन - बीथिन मैं विहसि बिचरिहैं। लैहैं सुधि विपुल- बिहाल - ब्रज - वालन की तानन सुनाइ सुधा कानन मैं भरिहैं ।