पृष्ठ:रसिकप्रिया.djvu/२८०

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२८४ रसिकप्रिया 'उरझत उरग ७/३१ ऊजरु है यह ।१३।१४ सू ऊढ़ा पुनि यहि ।।१६ ऊढ़ा होइ बिबाहिता ।३।६६ एक जु नीके ।४।२ एकरदन गजबदन।१।१ एक समै इक ६/४४ एक समै बृषभानसुता ।८।६ ‘एक समै सब ।५।३० एक होइ अनुकूल १६८ ए दोऊ दरसैं ।४।१ ऐसी ऐसी रति ।६७ ऐसी बातें ।१२।६ ऐसी है गोकुल ।६।४१ ऐसेंही क्यों ।१३।४ औधि दै आए ।७।२१ और कछू न ।८।२५ और के हास-बिलास ।२।४ और जु तरुनी ।५।३६ कंज के से फूल ।१३।५ कटि के तट ।६।३१ कपट-कृपानी मानी ।१६।११ कबहूं श्रुति-कंडू ।।६ करत जहाँ लीलानि ।६।२१ कहि प्रावति है ।१०।५ कहि केसव श्रीबृषभानु-कुमारि ।४।४ कहियै केसबदास ।१५।२ कहो कान्ह ।।१६ कह्यो हास रस ।१४।१७ सू काळे सितासित ।१४६ काटौं कपट्ट ७/४० काननि कनक-पत्र ।१५।५ काननि के रंगे ।२।१३ कान्ह के प्रासन ||५२ कान्ह तिहारी ।।१० कान्ह भलें जु ३।३६ कान्ह भलें जु ।३।४६ काल्हि की ग्वालि ।।२ काहूँ कह्यो ।१०।१३ काहू सों न ।३।७२ किधौं गृह-काज ७/८ किलकत अलिक 1६।३७ कीट ज्यों काटत ।११२३ कीरति सहित पा२१ कुंकुम उबटि ।१३।३ कुसुम कंजु ७।२६ सू केकी न केसव ।१०।२४ केलि-कलह में ।६।५१ केसव एक समै ।। २ केसव करना ।१६।१२ केसव काल्हि बिलोकि ।८।३२ केसव कुंवर ।११।१६ केसव कसहूँ ईठनि ।८।५ केसव कैसेहूँ कोरि ।११।१५ केसव कैसेहूं 1७।२० केसव कौनहुँ ब्याज ।१०।६ केसव कौनहु काज ।१२।७ केसव क्योंहूँ चलें ।११।१२ केसव चौंकति ।८।४२ केसव जाके गुन ७४ केसव जामें ।१५।६ केसव जीवन जो ७५ केसव दरसन ।४१२ केसवदास उदास ।१०१७ केसवदास प्रवास ।११।१६ केसवदास सदा ।१०।४ केसवदास सु तीन ७।३३ केसवदास सों प्राजु ।६।३५ केसव धाइ खवासिनि ।१११२