पृष्ठ:रसिकप्रिया.djvu/२८४

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२८८ रसिकप्रिया प्रकट काम को ।४७ सू प्रकटहि पिय ।।२ प्रगलभबचना जानि ।३।३५ प्रत्यनीक नीरस ।१६।१ प्रथम कैसिको।१५।१ प्रथम पद्मिनी।३११ प्रथम मिलन ।५।४१ प्रथम संकल सुचि ३।४२ प्रथम सिंगार ।१।१५ प्रादुर्भूतमनोभवा मध्या ।३।३७ प्रिय क बिप्रिय ।१०।१८ प्रिय को कह्यो ।६।१२ प्रिया न प्रीतम ।१०।२६ प्रीति करै निज ।२।३ प्रीति बिना ॥१०॥३१ प्रेत की नारि ।।१।१३ प्रम धने रस ।१४।१० प्रेम भय भूप ।।१७ प्रेम राधिका कृस्न ।६।१५ फिरि फिरि फेरि ।१३।१५ फूल न दिखाव 1८।४ बड़ी जिय लाज ।१२।८ बन जयंचली ।५।१७ बन में बृषभानुकुमारि ।१।२० बन मोहिं मिले ।१४।३७ सू बनै न क्योहूँ ।८।५३ बरनत वाढे ४१४ बरनिय जामें ।१५।४ बरने अविनायक ।।१८ बल की बरसगाँठि ।।३२ बहि अंतर ।२।१० बाढ़ रति मति ।१६।१६ बात कहत ।।१५ बात व हैं न श२७ बार-बार बरजी।।१९ बार-बार बोले ७।१४ बारहिं बार ।१०१३० बासकसज्जा होइ ७।१० बासन वास १८२९ वास बिभूषन ।६।३० बिगहिं नयन ।१४।३ बिछुरत प्रीतम ।।१ बिप्रलंभ सिंगार बा२ बिरल लोम तन !३६ बूझति ही वह ।९।५ बेनु तज्यो उनि ।८।४६. बेनु सुनाइ ।६।२० बेषु कै कुमारिका ।५।२६ बैठी सखीनि की ।३।७० बैठी हुती वृषभानुकुमारि ।६।५५१ बैठी हुतो ब्रज ।३७१ बैन ऐन-सुख ।१२।३० बोलि ज्यो आए ।९।१४ बोलत नाहीं।१०।१६ बोलनि के समयें ।६।३३ वोलनि हँस नि ।६।२४ बोलिबो, बोलनि को ।३।७. बोली न हों ।३।२५ बोलै न बाल ।३।३१ बोल्यो सुहाइ ।८।२६ ब्रज की कुमारिका ।१४।३५ भंवत रहै मन 11३५ भय उपजै ।१६।१३ भलेहूँ सूधे नहीं ।७।३५ भौति भली ८७ भाषति है सुखबैन ।७/१२ भाल गुही।४।६ भाव जु सबही ।६।११