पृष्ठ:रसिकप्रिया.djvu/२८५

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प्रतीकानुक्रमणी २८६ भाव सु पंच ।६।२ मेंघनि ज्यों (८३३ भुवमंडल ।१४।२८ मेरे कहे दहिये ।६।३४ भूल होइ ।४।१४ सु मेरे तो नाहिन ।२।६ भूलि जाइ सुधि ।८।४८ मेरे मिलाएही ८।२७ भूषन भुषिबे को ।६।४५ मेरो मुख चूमें ।।१० मैं पठई मति ।११।३ भूषन-भेद बनाइ ।१३१८ मैन ऐसो मन ।१२।१५ भेद की बात ।१४१५ मोट्टाइत सुनि ।६।१७ भोजन के बृषभानु ।६।५० भौरिनी ज्यों ।११।१७ मोहन मरीचिका ।८।३६ मोहन-साथ कहा ।१२।३ मंदहास कलहास ।१४।२ मत्तगय'दनि साथ 1१०18 मोहिबो मोहन ।३.१६ मध्या आरुढ़जोबना ।३।३३ यह संजोग सिँगार ७१४४ मध्या भारुढ़जोबना प्र० ३३३२ याही को मेरौ ।१२।२७ ये मन मन मिलें।१२।१६ गुन केसव ।२।२ य सब जितनी नाइका ७१ मनमोहिनी मोहि ।६।२६ ये सब जितनी नायिका ।।४० मनसा बाच ।२।१६ यों परछन्न प्रकास ।११२८ मरन सु केसवदास |८५४ यों ही पीय ।५।८ माखन के चोर ।१४।३६ रच्यो बिरंचि ।१७ माता ही को।१४।३१ रति उपजै ।।५५ मान करै।।३५ रति-मति की ।१।१७ मान करै लघु १७३७ रति हाँसी अरु ।६९ मान तजहिं ।१०।१ राबा राधारमन के करचो ।१३।२२६ मान बिबिध ११०१३३ राधा राधारमन के कह ।६१५७ मान मनावतहूँ ।।१३ राधा राधा-रवन ।।२१ मान-मुचावन बात ।१०।२० राधिका की जननी ।।१६ मानहिं मान २० रामजनी, सन्यासिनी ।१२।२ः मिलिबे कौं एक ।१५।३ मीडि मारयो ।१४।२३ रितु ग्रीषम ।५।३७ रीझि रिझाइ ।१३।७ मुंह मीठी ।२।११ रुचि पंकज ।२।१२ मुकतामनीन की।३।२३ सू रूठिबे को तूठिबे ।४।१० मुख रूखी बातें ।३।६५ रूठे बारहिं बार !७।३६ मुग्धा, मध्या ।३।१६ रूप प्रेम के ।६।४२ मुग्धा मान करें।३।३० रोष में रस ।१४।२९ मुग्धा लज्जाप्रायरति ।३।२४ लंघतु है ।४।१७ मुग्धा सुरुख कर ३ि।२८ लाज न गारिहु ।।१४ मुग्धा सोइ रहै ।३।२६ लाड़िली लीप्ती ।७।२६