पृष्ठ:रस साहित्य और समीक्षायें.djvu/६३

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हिन्दी भाषा का उद्गम ] ६४ . [ 'हरिऔध' की सम्मति मैं नीचे उद्धृत करता हूँ---उनसे इस विषय पर बहुत कुछ प्रकाश पड़ेगा। संस्कृत भाषा से इन अवतरणों में वैदिक-संस्कृत अभिप्रेत है। "किसी समय 'संस्कृत' सम्पूर्ण संसार की बोलचाल की भाषा थी।"* __ --मिस्टर वाय +"सर्व-ज्ञात भाषाओं में से संस्कृत अतीव नियमित है। और विशेषतया इस कारण अद्भुत है कि उसके योरप की अद्यकालीन भिन्न-

  • भिन्न भाषाओं और प्राचीन भाषाओं के धातु हैं।"

--मिस्टर वुवियेर “यह देखकर कि भाषाओं की एक बड़ी संख्या का प्रारम्भ संस्कृत से है, या यह कि संस्कृत से उसकी समधिक समानता है, हमको बड़ा आश्चर्य . होता है- और यह संस्कृत के बहुत प्राचीन होने का पूरा प्रमाण है । रेडिगर नामक एक जर्मन लेखक का यह कथन है कि संस्कृत सौ से ऊपर भाषाओं और बोलियों की जननी है। इस संख्या में उसने भारतवर्षीय, सात मीडियन पारसी, दो अरनाटिक अलबानियन, सात ग्रीक, अट्टारह लेटिन, चौदह इसक्लेवानियन और छः गेलिक केल्टिक को रखा है। ___ *At one time Sanskrit was the one language spoken all over the world. Edinburgh Rev. Vol. XXXIII, 3.43 +It is the most regular languages known and is especially remarkable, as containing the roots of various languages of Europe and the Greek, Latin, German, of Selavonic- Baron cuvier- ___Lectures on the Natural Sciences.

  • The great number of languages which are said to owe their

origin, or bear a close affnitty to the Sanskrit is truly astonishing and is another proof of its high antiquity. A German writer