हिन्दी भाषा का उद्गम ] ६५ [ 'हरिऔध' लेखकों की एक बड़ी संख्या ने संस्कृत को ग्रीक, लैटिन और जर्मन भाषा की अनेक शाखाओं की जननी माना है, या इनमें से कुछ को संस्कृत से उत्पन्न हुई किसी दूसरी भाषा द्वारा निकला पाया है, जो कि अब नाश हो चुकी है। ___सर बिलियम जोन्स और दूसरे लोगों ने संस्कृत का लगाव पारसी और ज़िन्द भाषा से पाया है। हालहेड ने संस्कृत और अरबी शब्दों में समानता पायी है, और यह समानता केवल मुख्य-मुख्य बातों और विषयों में ही नहीं, वरन् भाषा की तह में भी उन्हें मिली है । इसके अतिरिक्त इन्डो चाइनीज़ और उस भाग की दूसरी भाषाओं का भी उसके साथ घनिष्ठ सम्बन्ध है।" -मिस्टर एडलिग ( Rudiger ) has asserted it to be the parent of upwards of a hun- dred languages and dialects, among which he enumerates twelve Indian, seven Median-Persic, two Arnantic-Albanian, seven Greek, eighteen Latin, fourteen Sclavonian, and six Celtic-Gallic, X A host of writers have made it the immediate parent of the Greek, and Latin, and German families of languages, or regarded some of these as descended from it through a language now extinct. With the persian and Zend it has been almost identified by sir William Jones and others. Halhed notices the similitude of Sanskrit and Ardic Words, and this not merely in technical and metaphorical terms, but in the main ground work of language In a contrary direction the Indo-Chinese and other dialects in that quarter, all seen to be closely allied to it-Adcling Sans.Lit- crature, H. 38-40.
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