पृष्ठ:रहीम-कवितावली.djvu/११२

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खेट-कौतुकम्।

जिसके दूसरे घर में बृहस्पति हो वह बड़ा पुण्यात्मा और श्रेष्ठ पुरुष होता है तथा पुत्र,सोना और धन-धान्य से युक्त होता है ॥ ३ ॥

आयुखाने चश्मखोरा मालखाने मुश्तरी ।
राहु जो पैदावखाने शाह होवे मुल्क का ॥ ४ ॥

जिसके आठवें शुक्र,दूसरे बृहस्पति हों और राहु लग्न में हो वह राजा होता है ॥ ४ ॥

रबी शत्रुखाने पड़ै उच्च का।
करै खाक दौलत फिरै जाबजा ॥ ५ ॥

सूर्य्य यदि मेष-राशि का होकर कुंडली के छठे घर में पड़ जाय तो धन को नाश करके मनुष्य को मारा-मारा फिराता है ॥ ५ ॥

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