पृष्ठ:रहीम-कवितावली.djvu/९५

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रहीम-कवितावली। ५-उत्कण्ठिता। मुग्धा-उत्कण्ठिता- गौ जंग जीम जमिनिओ, पिय नहिं श्राइ। राखेहु कौन सवतिया, धौं बिलमाइ ॥ ६० ॥ मध्या-उत्कण्ठिता- जोहंत परी पलँगिश्रा, पिय कै बाट । बेचेउ चतुर तिरिवा, धौ केहि हाट ॥ ६ ॥ प्रौढ़ा-उत्कण्ठिता- . पिय-पथ हेरति गोरिया, भो भिनुसार। - चलहुन करिहि तिरिअवा, तुव इतबार ॥ ६२॥ परकीया-उत्कण्ठिता- , उडि-उठि जात खिरकिया, जोहन बाट । कत वह आइहि मितवा, सूनी खाट ॥ ६३ ॥ गणिका-उत्कण्ठिता- कदिन नींद मिनुलरवा, बालस पाइ। धन दै मूरुख मितवा, रहल लोभाइ ॥ १४ ॥ ६-बासकसज्जा। मुग्धा-बासकसजा- हरुएं गवन नबलिश्रा, डोठि बचाइ । पौढ़ी जाइ पलँगिश्रा, सेज बिछाइ ॥ ६५ ॥ ६०-१-दो, २-घड़ी, ३-रात्रि। ६१-१-देखती है। ६२-१-तड़का-सबेरा। ६५-१-हलके-हलके-चुपके चुपके ।