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पृष्ठ:राजविलास.djvu/१०६

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राजविलास । कविलान राय कट्टन सु कन्द । दुतिबंत राय हिन्दू दिनेद ॥ अरि विकट राय जाड़ा. उपाड । बलवन्त राय बैरी विभाड ॥२१॥ ___अन पुछि राय पुछिय पलॉन । भल हलत रूप मध्यान भान ॥ रायाधिराय राजेश रान । जगतेश नन्द जय जय सुजान ॥ २२॥ बाजीनि चरन खुरतार बग्ग । मह अनड कहि कीजन्त मग्ग ॥ झलझलिय उदधि सलसलिय सेस। कलकलिय पिछि कच्छप असेस ॥ २३ ॥ रजथान सजल जलथान रेनु । धुन्धरिग भान रज चढ़ि गगेनु ॥ अति देश देश सु वढ़ी अवाज । न सु यवन करते निवाज ॥ २४ ॥ हलहलिय असुर धर परि हलक्क । पलभलिय नर पर पुर पलक्क ॥ थरहरें दुर्ग मेवास यान । रचि सेन सबल राजेश रान ॥ २५ ॥ सुलतान मान मनी ससङ्क । वलवन्त हिन्दुपति बीर बङ्क ॥ आयौ सुलेन अवनी अभङ्ग । पालम सु भयौ सुनि गात भङ्ग ॥ २६ ॥ ॥ कवित्त ॥ ऊचलि गयो अग्गरो दन्द मच्यौ अति दिल्लिय । हाजीपुर परि हक्क डहंकि लाहौर सु डुल्लिय ॥ यरस लयौ रिनथम्भ 'असकि अजमेर सु धुज्जिय ।