पृष्ठ:राजसिंह.djvu/११८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

6 दृश्य तीसरा अंक गुरुजी-(हंसकर ) अच्छा बेटो, अच्छा। तो अब मैं जाऊँ, लम्बी राह है। निमल-और समय कम । आज ग्यारस है, ब्याह की तिथि पंचमी है। आपको इससे पूर्व ही यहाँ लौट आना होगा। गुरुजी-(चिन्ता करके ) प्रभु की कृपा से ऐसा ही होगा। जावा हूं बेटी! निर्मल-जाइये। ( अनन्तमित्र जाते हैं, पर्दा बदलता है।) .