पृष्ठ:राजसिंह.djvu/१७

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२ f राजसिह [पहिला दूसरा-भरे भाई ! कह वो दिया देखा-देखा, हमने ही नहीं हजारों ने देखा, जिसने देखा दंग रह गया। पहिला-दंग रह जाने की ही बात है भई। भला तुमने कहीं इतिहास शास्त्र पुगण में पढ़ा सुना है, किसी राजा ने रत्नतुला किया है ? ( एक ब्राह्मण रामनामी श्रोदे पाता है) ब्राह्मण-शास्त्र-पुराण पढ़ने की बात कौन कह रहा है भाई। पहिला नागरिक हम कह रहे है जी हम तुमने शास्त्रपुराण में कहीं पढ़ा सुना है ? ब्राह्मण-अरे ! हमने शास्त्र पुराण में नहीं पढ़ा तो क्या तूने पढ़ा है ? मूर्ख, शास्त्र-पुराण पढ़ना क्या यों ही होता है। पहिला-पढ़ा है तुमने ब्राह्मण देवता ? ब्राह्मण-(लाल भार्ये करके) नहीं पढ़ा है हमने ? दुष्ट, हमें मूर्ख समझता है। (दो चार और नागरिक आते हैं) सब-क्या झमेला है जी। ब्राह्मण-यह शूद्र कहता है हमने शास्त्र-पुराण नहीं पड़ा। पहिला नागरिक-हम क्षत्रिय हैं शूद्र नहीं। हाँ, कहे देते हैं। दूसरा नागरिक-देवता जी, तुम नाहक बिगड़ने लगे। यह किसने कहा कि तुमने शास्त्र-पुराण नहीं पढ़ा। ब्राह्मण-हुँहूँ, हमने शास्त्र-पुराण नहीं पढ़ा। अरे १८ वर्ष