पृष्ठ:राजसिंह.djvu/२०८

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तीसरा दृश्य (स्थान-अजमेर । आनासागर की पाल, बादशाह औरङ्गजेब की छावनी । शाही खेमे बादशाह और उसके अमीर पग़मर्श कर रहे हैं । समय-प्रातःकाल।) बादशाह अकबर ने क्या पैग़ाम भेजा है ? तहब्बुर खाँ-जहाँपनाह, मेवाड़ को फतह करने मे बड़ी-बड़ी मुश्किलें दरपेश है। बादशाह-वे कौन सी मुश्किलें हैं जिन्हें शाही फौज को पूरा करने में दिक्कतें आती हैं। तहब्बुर खाँ-खुदाबन्द, पहिली बात तो यह कि मेवाड़ के शाही थाने एक दूसरे से बहुत दूर हैं और उनके बीच-बीच में अरावली की पहाड़ियाँ आ गई हैं जिनके ऊपरी हिस्सों पर राणा का कब्जा है। वह वहाँ से मौका पाते ही चीते की तरह पूरब या पच्छिम से हमारी फौज पर आ टूटता है और फौज को काट कूट और छावनी को लूट लाट फिर पहाड़ पर जा छिपता है। बादशाह-(भों सिकोड़ कर) और ? तहब्बुर खाँ-फिर मेवाड़ का पहाड़ी इलाका-उदयपुर से पश्चिम में कुम्भलगढ़ तक और राज समुद्र से दक्षिण में सलूवर तक एक तरह से निहायत मजबूत किले