पृष्ठ:राजसिंह.djvu/२२७

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राजसिंह [आठवों महब्बुरखाँ-नहीं तो क्या, आप नहीं तो आजम, मुश्रञ्जम कोई न कोई तो खरीदेहीगा। अकबर-( उतावली से) यह न होने पावेगा । मैं यह मदद खरीदूंगा। तहब्बुरखाँ-चाहे जिस कीमत पर ? अकबर-चाहे जिस कीमत पर । तुम राजपूतों से बातें करो। तहब्बुरखाँ-मैं बात कर चुका हूँ शाहजादा ! मगर एक अर्ज है. ? अकबर-कैसी अर्ज। तहब्बुरखाँ-आप बादशाह होंगे तो-बंदा वजीरे आजम होगा। अकबर-मैं मंजूर करता हूँ। तहब्बुरखाँ तो अब आप आराम करें । मैं सब ठीक ठीक कर, लूँगा। ( जाता है। पदी बदलता है।)