पृष्ठ:राजसिंह.djvu/२२८

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नवा दृश्य (स्थान-राणा की छावनी । महाराणा और उनके सावन्त बातें कर रहे हैं। सेना पड़ाव डाले पड़ी है। समय-प्रातःकाल ।) गोपीनाथ राठौर-अन्नदाता की जय हो । प्रबल प्रतापी मुग़ल बादशाह आलमगीर देवरी की घाटी में अपनी तमाम सेना सहित फंस गया है। अब क्या आज्ञा होती है ? राणा-धन्य है आपकी वीरता और तत्परता, विस्तार से कहो कैसे क्या हुआ। गोपीनाथ राठौर-महाराज, हमारे एक चर ने मार्गदर्शक होकर . बादशाह को घाटी में ला फंसाया। इस पर बादशाह अपनी तमाम फौज, खजाना लिये मेवाड़ को जड़ मूल से रोदने के इरादे से चला था। सब से आगे रास्ता दुरुस्त करने वाली फौज थी। उनके हथियार गंडासा फावड़ा और कुदाली थे। ये लोग दरख्त काटते, गढ़े पाटते, रास्ता बनाते बढ़ रहे थे। राणा शाही फौज का यह हिस्सा बहुत ही मुस्तैद है। गोपीनाथ राठौर-जी हाँ, इसके बाद तोपों की कतार थी। हमने चुपचाप इन्हें घाटी में घुस जाने दिया। राणा-(इंसकर) आपने बड़ी उदारता की। गोपीनाथ राठौर-तोपों के पीछे हाथियों पर खज़ाना था। जब स्वजाना घाटी में जाने लगा, तो हमारे सेना