पृष्ठ:राजसिंह.djvu/३४

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दृश्य] पहिला अंक पहिला-वाह रे मूर्ख । धरती जब पानी में डूब जायगी तब पानी की जरूरत रही तो क्या ? और न रही तो क्या ? दूसरा-धरती डूबे चाहे न डूबे । हमें क्या ? राणा धरती मांगेंगे तो हमें देना ही होगा-भाई । तीसरा-ऐसा नहीं है जी। गणाजी प्रजा की भलाई के लिये ही ताल बना रहे हैं। पहिला-सुना है राणाजी रूपनारायण के दर्शन को जल्द ही इधर आवेंगे और तब ताल का मुहूर्त होगा। दूसरा-सुनो भाई, राणा राजसिंह राजपूताने में एकछत्र नर- पति हैं। तीसरा-क्यों नहीं। ऐसा धीर, वीर, दानी और चतुर राणा मेवाड़ के भाग्य ही से उसे मिला है। चौथा-तुमने सुना है। राणाजी की शरण में दूर-दूर से बादशाह के सताये हुए ब्राह्मण, यती, विद्वान और शूरमा आ रहे हैं। राणा सबका यथावत् सम्मान करते हैं। पहिला-धन्य राणाजी! धन्य मेवाड़ ! राणा राजसिंह से मेवाड़ के भाग्य जाग गये। दूसरा-परन्तु भाई, एक दिन बादशाह से गहरी छनेगी । पहिला-तो मेवाड़ भी अपनी आन निबाहेगा। तीसरा-इस बार हम भी तलवार पकड़ेंगे देखना वह बढ़-बढ़- कर हाथ मारूँ कि जिसका नाम । (दो बालक भाते हैं)