पृष्ठ:राजसिंह.djvu/४५

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३० यसिंह सातवा वजीर-जी हाँ खुदाबन्द । बादशाह-उसे इसी जुम्मे को मुसलमान कर लिया जाय और उसका नाम मुहम्मदीराज रखा जाय । उसे इस्लामी तालीम देने की तमाम जरूरी कार्रवाहियाँ की जायें । वजीर-जो हुक्म जहाँपनाह । बादशाह-रानी कहाँ गई है। कुछ पता लगा ? वजीर-वह उदयपुर के राना राजसिंह की पनाह में गई है। बादशाह-(योरियों में बल डालकर) राना राजसिंह की तो और भी शिकायते हैं? वजीर-जहाँपनाह, खबर मिली है कि उसने वे तमाम इलाक दखल कर लिये हैं जो आला हजरत ने दखल कर लिये थे और चित्तौड़ के किले की मरम्मत जो शाही सुलहनामे खिलाफ होने से गिरा दी गई थी फिर से करली गई है। बादशाह-(सोचकर) बहतर। इस मसले पर फिर गौर किया जायगा। क्या मुल्ला और उल्मा श्रआये हैं। वजीर-जी हाँ खुदाबन्द, वे सब कदमबोसी के लिये मुन्तजिर बादशाह-उन्हें यहाँ भेज दो और जसवन्तमिह के इस लड़के का खुब खयाल रखो। बजीर-जो हुक्म । (बज़ोर जाता है। सब लोग पातेहैं।)