पृष्ठ:राजसिंह.djvu/४७

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. राजसिंह [सातवाँ सब-सुभान अल्लाह ! सुभान अल्लाह !! जहाँपनाह ने बहुत ही मुनासिब काम किया है। बादशाह-मैंने तमाम काफिर राजपूतों और हिन्दुओं को जिम्मेदार जगहों से हटाकर, उनकी जगह दीनदारों को दी हैं। सब-ऐसा ही होना चाहिये। बादशाह-अब आप लोग कहिये कि दीने इस्लाम की बहतरी के लिए और क्या किया जा सकता है? एक मुल्ला-हुजूर, शरअ की मन्शा है कि तमाम हिन्दुओं पर जजिया लगाया जाय। जैमा कि पठान बादशाहों ने हिन्दुओं पर लगाया था। इससे दीन की तरक्की होगी और खजाना भी बढ़ेगा। बादशाह-इस मसले पर भी गौर किया जा रहा है। मगर हमें खयाल है कि राजपूत और हिंदु रईस इससे बिगड़ जायेंगे। मुल्ला-मगर जहाँपनाह, जो खुदा से खौफ व ते हैं, इन मकार . राजपूतों से डर जाने वाले नहीं हैं जजिया का हुक्म तो ज़रूर जारी होना चाहिये। बादशाह-बहत्तर, जल्द जजिया का हुकम जारी करूंगा। अब आप नोग जा सकते हैं। सब मुल्ला शुक्रिया! अब हमने समझा कि जहाँपनाह बोलिया हैं । हम खुदा से दुआ करते हैं कि जहाँपनाह के मैं